उत्तराखण्ड

पारम्परिक विधि विधान एंव मंत्रोच्चारण के साथ भगवान श्री बद्रीनाथ जी के कपाट शीतकाल के लिए हुए बन्द

आज शुभ मुहूर्त में रात्रि 09 बजकर 07 मिनट पर भू-बैकुंठ धाम श्री बद्रीनाथ जी के कपाट पूर्ण विधि विधान, वैदिक परम्परा एवं मंत्रोचारण के साथ शीतकाल के लिए बन्द कर दिए गए। पंच पूजाओं के साथ शुरू हुई कपाट बंद होने की प्रक्रिया के अंतिम दिन भगवान नारायण की विशेष पूजा अर्चना की गई। मुख्य पुजारी रावल जी द्वारा भगवान को घृत कम्बल पहनाने व स्त्री वेष धारण कर माता लक्ष्मी को बदरीनाथ मंदिर के गर्भ गृह में विराजमान करने के पश्चात ही, मंदिर समिति के सदस्यों एवं सहस्त्रों श्रद्वालुओं की मौजूदगी में भगवान श्री बद्री विशाल जी के कपाट इस वर्ष शीतकाल के लिए बंद किए गए। सेना के मधुर बैंड की भक्तिमय धुनों एवं जय बद्री विशाल के उदघोष के साथ हजारों श्रद्वालु श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने की अलौकिक बेला के साक्षी बने।मुख्य पुजारी रावल अमरनाथ नंबूदरी ने इस वर्ष की अंतिम पूजा की।कपाट बंद होने का कार्यक्रम अत्यंत धार्मिक मान्यताओं व परम्पराओं के साथ सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर बडी संख्या में श्रद्वालुओं ने पूरे भाव भक्ति से भगवान बद्री विशाल के दर्शन किए। कपाट बंद होने के पश्चात कल दिनांक 18 नवंबर को प्रात: भगवान श्री उद्वव‌जी एवं कुबेर जी योगध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर तथा आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी श्री नृसिंह मंदिर स्थित गद्दीस्थल को प्रस्थान करेगी।

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